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Hindi Poetry “Izhaar”
दिल के यह अरमान थे के तुम मेरी हो जाओ,
आते थे जब तुम तो दिल की धड़कन बाद जाती थी ,
तुम्हारे जाने पर बस तुम्हारी याद रह जाती थी ।
क्या पता था की बस याद ही रह जाएगी ,
और यह याद हमें उम्र भर तरसाएगी ।।
वह दिन क्या गजब था ,
जब तुमने आकर अपने प्यार के बारे में बतलाया ,
दिल धड़क उठा ,एक उम्मीद जगी अपना नाम सुनने की ।।
पर जब तुमने अपने प्यार का नाम बतलाया ,
हमने अपने दिल को समझाया
जरुरी नहीं की जिसे हम प्यार करे वह भी हमें उतना प्यार करे।
बस उसकी हंसी को देखकर भी अपना काम चला लेंगे ,
वह नहीं उसकी याद के सहारे ही अपनी ज़िन्दगी बिता लेंगे ।।
इज़हार कर देते तो दोस्ती भी टूट जाने का डर था ,
बस इस डर ने इज़हार रोक दिया ।
क्या पता था वह किसी और को चाहते हैं ,
पता होता तो दिल को बहला लेते ।
इस बार भी उसको समझा लेते ,
तू नहीं हमारे भाग्य में शायद ,तेरी हंसी को ही अपनी जिंदगी बना लेते ।।
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