Hindi Poem वो मां होती है
धरती पर हमें लाने के लिए जो बहुत दर्द सहती है,
बचपन मे जो एक हाथ से हमें गोद में लेकर एक हाथ से सारा काम करती है।
वो मां होती है……
रात में नींद न आने पर जो सारी रात जग जाती है,
और हमें सुलाने के लिए वो नित नई लोरी सुनाती है।
वो मां होती है….
सूरज की धूप को अपने पल्लू से ढककर हमे बचाती है।
और पानी गंदा हो अगर तो पल्लू से ही छानकर हमें पिलाती है।
वो मां होती है….
बुरी नज़र से बचाने के लिए जो काला टिका लगती है।
और हमें खुश करने के लिए जो रोज नए व्यंजन बनाती है।
वो मां होती है….
हमारी असफलता पर जो सबसे दुखी होती है
हमारी छोटी सी उपलब्धि पर जो सबसे ज़्यादा खुश होती है।
वो मां होती है….
शुभ काम शुरू करने से पहले जो दही शकर देती है,
मुश्किल वक़्त आने पर जो सबसे पहले होंसला देती है।
वो मां होती है…
हमारी हर इच्छा को जो पापा तक पहुंचाती है।
हमारी हर गलती को जो पापा से छुपाती है।
वो मां होती है…..
कितना भी हो जाये बड़े पर फिर भी बच्चा समजती है।
मोटा हो जाये चाहे कितना भी उसे वो दुबला ही कहती है।
वो मां होती है….
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