मन्त्र की महिमा Hindi Story

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मन्त्र की महिमा Hindi Story


एक बार परमहंसजी से एक जिज्ञासु ने पूछा –
“ क्या मन्त्र जप सबको समान लाभ देते है ?”
उन्होंने कहा – “ नहीं !”
तो जिज्ञासु ने पूछा – “ क्यों ?”

परमहंसजी के समझाने के तरीके भी अनोखे थे । उन्होंने एक उस जिज्ञासु को एक कथा सुनाई ।

एक था राजा । उसका मंत्री प्रतिदिन जप करता था । एकदिन उस राजा ने भी मंत्री से यही प्रश्न पूछा कि “क्या मन्त्र जप सबको समान लाभदायक होता है ?”

तब मंत्री ने कहा – “ जी नहीं महाराज ! सबको समान लाभदायक नहीं होता ।”

तब राजा ने भी ‘क्यों’ करके कारण पूछा । कुछ दिन तो मंत्री टालता रहा लेकिन जब राजा रोज आग्रह करने लगा तो मंत्री ने एक दिन इसका समाधान करने का निश्चय किया ।

वह राजा को एकांत में ले गया और एक अजनबी बालक को बुला भेजा ।

मंत्री ने बच्चे से कहा – “ बेटा ! जाओ और इस राजा के गाल पर दो चार झापड़ जड़ दो तो, रोज – रोज मुझसे प्रश्न पूछता है ।”

उस बालक ने मंत्री की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और चुपचाप खड़ा रहा ।

तभी राजा को गुस्सा आया । वहाँ कोई सेवक और सैनिक तो था नहीं अतः राजा ने उसी बच्चे को आदेश दे डाला – “ बालक ! जा और दो चार चांटे इस मंत्री को ही लगा । ताकि इसे भी महाराज का अपमान करने का अहसास हो जाये ।”

बच्चे ने तुरंत महाराज के आदेश का पालन किया और तड़ातड़ मंत्री के झापड़ लगा दिए ।

मंत्री शांतचित खड़ा रहा और बोला – “ महाराज ! मन्त्र शक्ति भी इस बालक की तरह ही है, जो केवल अधिकारी व्यक्ति के आदेश का ही पालन करती है । वह पात्र अपात्र का भेद अच्छी तरह जानती है।

उसे इतना विवेक होता है कि किसे लाभ देना चाहिए और किसे नहीं । किस पर कृपा बरसानी चाहिए और किस पर नहीं ।”

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