Hindi Moral Story – Vatavaran

Hindi Moral Story - Vatavaran
Hindi Moral Story - Vatavaran

This is a moral story inspired by an event in Mahabharat.This is about Arjun -Jaydrath.How Shri Krishna create enviornment for death of Jaydrath ?If you like this hindi moral story vatavaran then comment and share.

Hindi Moral Story Vatavaran

      महाभारत के रण में हम सभी को ज्ञात है की अभिमन्यु को षड़यंत्र रचकर चक्रव्यूह में मारा गया थे । जब अभिमन्यु को चक्रव्यूह में फसाया गया था तब अर्जुन वहां नहीं थे ।

      अभिमन्यु का जब वध हो गया तो जयद्रथ ने उसके मरने के बाद भी उसके शरीर को लातों  से पीटा था ।अर्जुन जब वापस आये तो उन्हें पता चला की उनका पुत्र धोखे से मारा गया है और जयद्रथ ने तो उसके शव को भी नहीं बख्शा ।

      तब अर्जुन ने शपथ ली की कल सूर्यास्त से पहले मैंने अगर जयद्रथ का वध नहीं किया तो मैं खुद अग्नि -समाधी ले लूंगा । बात तेजी से फ़ैल गयी । पांडवों में चिंता की लहर दौड़ गयी की अगर सूर्यास्त तक जयद्रथ नहीं मरा तो अर्जुन अग्नि समाधी ले लेगा । वहीँ कौरवों में थोड़ी ख़ुशी थी की किसी भी तरह अगर हम जयद्रथ को कल सूर्यास्त तक बचा लेते हैं तो अर्जुन अपने आप को अग्नि – समाधी दे देगा ।

       अगला दिन प्रारम्भ हुआ । कौरवों ने जयद्रथ को अर्जुन से दूर छुपा दिया था ।अर्जुन युद्ध करते हुए उसकी तालाश में आगे बढ़ रहे थे ।

        दिन तेजी से आगे बढ़ रहा था लेकिन दूर- दूर तक जयद्रथ का कहीं पता नहीं था । दिन के आगे बढ़ने के साथ पांडवों की चिंता और कौरवों की ख़ुशी बढ़ती जा रही थी ।

       अब सूर्यास्त में कुछ ही घंटे शेष थे । सभी पांडव अब श्रीकृष्ण की तरफ आशा भरी नज़रों से देख रहे थे ।
       भगवान् ने सूर्यास्त होने से कुछ देर पहले लीला रची और बादलों ने सूर्य को ढक लिया । चारों तरफ अन्धकार छा गया ।

     कौरव खुश हो गए । उन्होंने समझा सूर्यास्त हो गया, पांडव भी निराश हो गए । जयद्रथ ख़ुशी के मारे बाहर निकल आया। अर्जुन के पास जाकर बोलने लगा –‘अब लो अग्नि-समाधी ।‘

     श्रीकृष्ण को इसी पल का इन्तजार था । अचानक बादल छंट गए और सूरज निकल आया । सभी हैरान रह गए । श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा- अपनी प्रतिज्ञा पूरी करो । अर्जुन ने गांडीव उठाया और एक ही तीर से जयद्रथ का वध कर दिया ।

Hindi Moral Story

       सारा कमाल वातावरण बनाने का है श्रीकृष्ण ने वातावरण बनाया और अर्जुन ने कर्म को पूरा किया । हमें भी अपने आस पास स्वछता को बनाये रखने का ,निरंतर आगे बढ़ते रहने का वातावरण बनाना पड़ेगा, तभी हम लक्ष्य को साध पायेंगे । आइये, हम अपने आस पास हर अच्छी बात के लिए वातावरण बनायें ।

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