Hindi Moral Story ‘ बचत की अहमियत ‘

     कहते हैं ‘जिसने बचाना सीख लिया उसने जीना सीख लिया।’ सच बात है जो आदमी पैसे बचाना जानता है वह इस कठोर व मतलबी दुनिया में जीना भी जानता है। परंतु पैसे बचाना (savings) भी एक हुनर का काम है। हर व्यक्ति पैसे नहीं बचा सकता।

     सनी और मनी दो परम मित्र थे। वह साथ में ही काम करते थे। सनी समझदार, कार्य कुशल, निपुण था तथा मनी सनी से थोड़ा कम व खर्चीला व्यक्ति था। दोनों एक ही गांव के थे और शहर में आकर नौकरी कर रहे थे। दोनों का परिवार भी उनके साथ रहता था। सनी पैसों की बहुत कदर करता था। वह पैसों को लक्ष्मी समझता था तथा मनी पैसों की कदर नहीं करता था। जब भी उसे पैसे मिलते वह अपने शोक पूरे करने के लिए फिजूलखर्ची में उड़ा देता।

     1 तारीख को दोनों को तनखा मिलती थी। सनी अपने आधे से ज्यादा पैसे बचा लेता था। यह सोचकर, कि आज के बचाए हुए पैसे कल मुसीबत में जरूर काम आएंगे। परंतु मनी अपने जरूरत के अनुसार पैसे बचाता और आधे से ज्यादा पैसे खर्च कर देता था। वह बस आज में जीता था, कल की उसे परवाह नहीं थी। सनी उसे बार-बार समझा था, कि पैसों की बचत (savings) करना हमारे लिए बहुत जरूरी है। यही बचत हमें आगे काम आएगी। परंतु वह उसकी बात अनसुनी कर देता था और अपनी मनमानी करता।

     एक दिन सनी और मनी दोनों काम कर रहे थे, अचानक मनी को एक अस्पताल से फोन आया कि उसकी बीवी का एक्सीडेंट हो गया है। मनी बहुत घबरा गया और फौरन अस्पताल के लिए रवाना हो गया। जब वह अस्पताल पहुंचा, तो पता चला कि उसकी बीवी का पैर फ्रैक्चर हो गया है। उसकी बीवी ने बताया कि ‘घर आते वक्त एक गाड़ी ने उसे गलती से टक्कर मार दी और वह वहीं बेहोश हो गई। जैसे-तैसे कुछ लोगों ने मुझे अस्पताल में भर्ती कराया और डॉक्टर को दिखाया।’ उसकी हालत देखकर मनी को बहुत दुख हुआ। कुछ समय बाद डॉक्टर उनके पास आए और कहा घबराने की कोई जरूरत नहीं है। सब कुछ ठीक है। कृपया आप अपनी बीवी का ध्यान रखें। साथ ही साथ डॉक्टर ने बताया कि, ‘इलाज में कुल पचास हजार रुपये का खर्चा आया है। कृपया आप यह भुगतान कर दें और अपनी बीवी को घर ले जाएं।’

     डॉक्टर की यह बात सुनकर मनी ने कहा, ‘डॉक्टर साहब! मेरे पास बिलकुल भी पैसे नहीं है। मैं पचास हजार रूपये कहां से दूंगा? वह सबके सामने बहुत शर्मिंदा हो गया। डॉक्टर ने कहा, ‘आपको पैसों का भुगतान तो करना ही होगा, नहीं तो आप अपनी बीवी को घर नहीं लेजा सकते मनी बहुत परेशान हो गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह इतने सारे पैसे कहां से लाए। सनी भी उसके साथ में था। सनी मनी का परम मित्र था, वह उसे तकलीफ में नहीं देख सकता था। उसने कहा, ‘मित्र! तुम चिंता मत करो। मैं तुम्हारे साथ हूं। तुम अपनी बीवी को लेकर घर चलो, मैं आता हूं।’

     मनी समझ गया कि सनी मेरी मदद करना चाहता है। उसने सनी की बात स्वीकार कर दी और कहा, ‘मित्र तुम हमेशा मुझे समझाते थे कि पैसे बचाना बहुत जरूरी है। पर मैंने तुम्हारी बात कभी नहीं सुनी। आज मेरी बुरी हालत का मैं स्वयं जिम्मेदार हूं। कृपया मुझे मेरी हालत पर छोड़ दो, मैं इसी लायक हूं। मनी को अब समझ आ गया था कि जीवन में पैसे बचाना बहुत जरूरी है। आज के बचाए हुए पैसे, कल हमारे जरूर काम आते हैं। विशेष आग्रह करने पर मनी ने सनी की बात मानी और उससे वादा किया कि अब से वह अपने जरूरत के अनुसार ही पैसे खर्च करेगा और भविष्य के लिए पैसे बचाएगा।

     इस घटना ने मनी को पैसों तथा बचत की अहमियत का एहसास दिला दिया था।

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